पूरे देश के शिक्षकों के लिए बड़ी खबर, सभी को TET से राहत मिलने की उम्मीद और याचिकाओं का हाल TET Mandatory Latest Update

TET Mandatory Latest Update: 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय सुनाया, जिसके तहत पूरे देश के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य कर दी गई। इस फैसले से लाखों शिक्षक प्रभावित हुए हैं और अब सभी की निगाहें सरकार की अगली कार्रवाई पर हैं। केवल उत्तर प्रदेश में ही लगभग 2 लाख शिक्षक इस आदेश से सीधे प्रभावित हैं, जबकि देशभर में इसका असर लाखों शिक्षकों पर पड़ा है। इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। कई अन्य राज्य सरकारें भी इसी दिशा में कदम उठा रही हैं।

यूपी सरकार की पुनर्विचार याचिका

उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों को TET से छूट दी जाए। फिलहाल इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है। जानकारी के अनुसार, याचिका फाइल कर दी गई है, लेकिन कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी बाकी हैं। इन प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद याचिका सुप्रीम कोर्ट के उन्हीं जजों के चेंबर में जाएगी जिन्होंने पहले TET को अनिवार्य करने का आदेश दिया था। वहीं से अंतिम निर्णय आएगा।

हिमाचल प्रदेश की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के चलते अब शिक्षकों के लिए नौकरी में बने रहना और पदोन्नति पाना TET पास करना अनिवार्य हो गया है। इसका असर हिमाचल प्रदेश के हजारों शिक्षकों पर भी पड़ा है। इसी कारण हिमाचल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। स्कूल शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों से शिक्षकों का रिकॉर्ड मांगा है। विधि विभाग से सलाह लेने के बाद सरकार अंतिम निर्णय लेगी।

राजस्थान सरकार भी कदम उठा रही है

राजस्थान सरकार ने भी अपने लाखों शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। प्रदेश के शिक्षक लंबे समय से TET से छूट की मांग कर रहे हैं। इससे पहले तमिलनाडु सरकार भी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी है।

राहत की दिख रही उम्मीद

देशभर के शिक्षक इन याचिकाओं से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इन याचिकाओं पर वही जज निर्णय देंगे जिन्होंने पहले TET को अनिवार्य करने का आदेश दिया था। यदि जजों को लगता है कि उनके आदेश में कोई कानूनी त्रुटि या गलती हुई है, तो इसमें संशोधन किया जा सकता है। अन्यथा याचिका खारिज कर दी जाएगी।

आदेश आने की है प्रक्रिया

यदि किसी एक राज्य की याचिका खारिज होती है, तो बाकी राज्यों की याचिकाओं को भी स्वतः खारिज माना जाएगा। ध्यान रहे कि पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कोर्ट में सार्वजनिक रूप से नहीं होती। जज अपने चेंबर में ही याचिकाओं की समीक्षा करते हैं। सरकार केवल लिखित में अपनी बात रख सकती है। यदि जजों को आवश्यक लगे, तो नया आदेश जारी होगा, अन्यथा याचिका खारिज कर दी जाएगी।

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